चालू वित्त वर्ष में कर संग्रहण बजटीय लक्ष्य से 37,000 करोड़ रुपए अधिक रहने की उम्मीद है। सरकार ने बजट में कर संग्रह का लक्ष्य 7.45 लाख करोड़ रुपए रखा था। राजस्व सचिव सुनील मित्रा ने सोमवार को यहां संवाददाताओं से कहा, ‘बजट में रखे गए कर राजस्व के लक्ष्य को 7.45 लाख करोड़ रुपए से बढ़ाकर 7.82 लाख करोड़ रुपए कर दिया गया है।’ मित्रा ने कहा कि प्रत्यक्ष कर संग्रह के लक्ष्य को 4.30 लाख करोड़ रुपए से बढ़ाकर 4.46 लाख करोड़ रुपए कर दिया गया है, वहीं अप्रत्यक्ष कर संग्रह के लक्ष्य को 3.15 लाख करोड़ रुपए से बढ़ाकर 3.36 लाख करोड़ रुपए कर दिया गया है। कर संग्रह के लक्ष्य में बढ़ोतरी ऐसे समय की गई है जब देश की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में उम्मीद से बेहतर 8.9 प्रतिशत रही है। अनुमानों के अनुसार चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर नौ प्रतिशत रहेगी। इससे पिछले वित्त वर्ष में यह 7.4 प्रतिशत थी। अप्रत्यक्ष कर संग्रह में वृद्धि की एक वजह पिछले साल के बजट में आर्थिक प्रोत्साहनों की आंशिक वापसी भी है। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने 2010-11 के बजट में उत्पाद शुल्क दो प्रतिशत बढ़ाकर दस फीसद कर दिया था। प्रत्यक्ष करों में आयकर, कंपनी कर आते हैं वहीं अप्रत्यक्ष करों में उत्पाद शुल्क, सीमा शुल्क और सेवा कर आते हैं।
Wednesday, January 26, 2011
कर संग्रह में लक्ष्य से ज्यादा वृद्धि की उम्मीद
चालू वित्त वर्ष में कर संग्रहण बजटीय लक्ष्य से 37,000 करोड़ रुपए अधिक रहने की उम्मीद है। सरकार ने बजट में कर संग्रह का लक्ष्य 7.45 लाख करोड़ रुपए रखा था। राजस्व सचिव सुनील मित्रा ने सोमवार को यहां संवाददाताओं से कहा, ‘बजट में रखे गए कर राजस्व के लक्ष्य को 7.45 लाख करोड़ रुपए से बढ़ाकर 7.82 लाख करोड़ रुपए कर दिया गया है।’ मित्रा ने कहा कि प्रत्यक्ष कर संग्रह के लक्ष्य को 4.30 लाख करोड़ रुपए से बढ़ाकर 4.46 लाख करोड़ रुपए कर दिया गया है, वहीं अप्रत्यक्ष कर संग्रह के लक्ष्य को 3.15 लाख करोड़ रुपए से बढ़ाकर 3.36 लाख करोड़ रुपए कर दिया गया है। कर संग्रह के लक्ष्य में बढ़ोतरी ऐसे समय की गई है जब देश की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में उम्मीद से बेहतर 8.9 प्रतिशत रही है। अनुमानों के अनुसार चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर नौ प्रतिशत रहेगी। इससे पिछले वित्त वर्ष में यह 7.4 प्रतिशत थी। अप्रत्यक्ष कर संग्रह में वृद्धि की एक वजह पिछले साल के बजट में आर्थिक प्रोत्साहनों की आंशिक वापसी भी है। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने 2010-11 के बजट में उत्पाद शुल्क दो प्रतिशत बढ़ाकर दस फीसद कर दिया था। प्रत्यक्ष करों में आयकर, कंपनी कर आते हैं वहीं अप्रत्यक्ष करों में उत्पाद शुल्क, सीमा शुल्क और सेवा कर आते हैं।
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