Sunday, January 16, 2011

बेकाबू महंगाई के आगे सरकार बेबस

महंगाई सिर्फ खाने-पीने की चीजों तक ही सीमित नही है। अब रोजमर्रा के जीवन में इस्तेमाल होने वाली हर चीज आम आदमी की पहुंच से बाहर हो रही है। सरकार के आंकड़े भी अब इसकी पुष्टि करने लगे हैं। पिछले एक महीने में ऐसी सभी चीजों के दाम बढ़ने से दिसंबर, 2010 में थोक मूल्यों पर आधारित महंगाई की सामान्य दर 8.43 प्रतिशत पर पहुंच गई है। महंगाई को बेकाबू होता देख वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने इस महीने की 19 तारीख को राज्यों के साथ बैठक करने का फैसला किया है। खाने-पीने की चीजों के अलावा सूती वस्त्र, स्टील उत्पाद, ऑटो पा‌र्ट्स से लेकर पेपर, रबड़ उत्पादों की कीमतें भी पिछले एक महीने में बेतहाशा बढ़ गई हैं। यही वजह है कि नवंबर के 7.48 प्रतिशत के मुकाबले दिसंबर में महंगाई की दर 0.95 प्रतिशत बढ़ गई है। हालांकि अभी भी महंगाई को बढ़ाने में प्याज की कीमतों की अहम भूमिका है। बढ़ती महंगाई पर शुक्रवार को वित्त मंत्री ने फिर चिंता जताते हुए कहा कि खाद्य उत्पादों की महंगाई का मौजूदा स्तर एकदम स्वीकार्य नहीं है। केंद्र सरकार राज्यों के साथ मिलकर महंगाई पर काबू पाने की पूरी कोशिश कर रही है। इस संबंध में प्रणब ने राज्यों के वित्त मंत्रियों के साथ 19 जनवरी को महंगाई रोकने के कदमों बारे में चर्चा करेंगे। इस दिन मुखर्जी ने अगले वित्त वर्ष 2011-12 के बजट पर राज्यों के वित्त मंत्रियों के साथ विचार-विमर्श के लिए बैठक बुलाई है। पिछले चार दिन से सरकार महंगाई पर काबू पाने के लिए माथापच्ची कर रही है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह खुद अपने वरिष्ठ काबीना सहयोगियों के साथ महंगाई रोकने के उपाय तलाश रहे हैं। इसके बावजूद महंगाई है कि सुरसा की तरह बढ़ती ही जा रही है। गुरुवार को हुई कैबिनेट की बैठक में भी महंगाई पर नियंत्रण के उपायों को लेकर लंबी चर्चा हुई। महंगाई को बढ़ाने में खाद्य उत्पादों की सबसे बड़ी भूमिका है। एक महीने में प्याज के दाम 45.82 प्रतिशत बढ़े हैं। कुल मिलाकर सब्जियों के दाम 24.94 प्रतिशत ऊपर चढ़े हैं। फलों की कीमतें एक महीने में 20.44 प्रतिशत बढ़ी हैं। दूध 18.21 प्रतिशत महंगा हुआ है, जबकि अंडा, मीट और मछली की कीमतें 19.23 प्रतिशत उछल गई हैं।

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