Saturday, January 15, 2011

विश्व के विकास में भारत व चीन का होगा आधा योगदान

वर्ष 2008 में शुरू हुई ग्लोबल मंदी के बाद भारत और चीन दुनिया के विकास का इंजन बन गए हैं। विश्व बैंक की ताजा ग्लोबल आर्थिक संभावनाएं 2011 रिपोर्ट से भी इसकी पुष्टि होती है। रिपोर्ट के मुताबिक इस साल और अगले वर्ष विश्व की विकास दर बढ़ाने में दोनों एशियाई देश करीब आधा योगदान करेंगे। वर्ष 2011 में भारत की विकास दर 8.5 और 2012 के दौरान 8.7 फीसदी रहेगी। चीन की अर्थव्यवस्था भी लगभग इतनी ही रफ्तार से बढ़ेगी। इसके उलट, मंदी से सबसे ज्यादा घायल अमेरिका समेत अमीर देशों की विकास दर ढाई फीसदी की आसपास रहेगी। कुल मिलाकर विश्व अर्थव्यवस्था इस वर्ष व अगले साल धीमी गति के साथ, पर मजबूती से बढ़ेगी। विश्व बैंक ने अपने अनुमान में कहा है कि ग्लोबल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) बीते साल के 3.9 प्रतिशत के मुकाबले 2011 में घटकर 3.3 फीसदी रहेगी। वर्ष 2012 में इसके 3.6 प्रतिशत पहुंचने की संभावना है। बीते साल विकासशील देशों की विकास दर 7 प्रतिशत रही है। इस साल यह 6 व अगले वर्ष 6.1 प्रतिशत रह सकती है। विश्व बैंक में मुख्य अर्थशास्त्री और आर्थिक विकास मामलों के लिए वरिष्ठ उपाध्यक्ष जस्टिन यिफू लिन ने कहा कि विश्व अर्थव्यवस्था को इस समय विकासशील देशों की सशक्त घरेलू मांग से बल मिल रहा है। अधिकांश विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था ने अपनी गति वापस पा ली है। हालांकि कुछ अमीर देशों में वित्तीय क्षेत्र का संकट विकास दर के लिए खतरा पैदा कर सकता है। इसके लिए देशों को ऊंचे घरेलू कर्ज बोझ, बेरोजगारी और कमजोर रीयल एस्टेट व बैंकिंग क्षेत्र को दुरुस्त करने की खातिर तुरंत नीतियां बनानी होंगी।


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