Sunday, January 30, 2011

आंकड़ों में नहीं आती मिलावट की बू


हकीकत चाहे जो हो, लेकिन सरकार यह मानने को कतई तैयार नहीं है कि पेट्रोल-डीजल में केरोसिन की मिलावट की समस्या गंभीर है। कम से कम सरकार के अपने आंकड़े तो यही बयान करते हैं। सरकारी आंकड़ों पर भरोसा करें तो बीते एक साल में सिर्फ 0.08 फीसदी मामलों में ही मिलावट पाई गई है। यही नहीं, जिन पेट्रोल पंपों में मिलावट के प्रमाण मिले हैं उनके खिलाफ कार्रवाई का रिकॉर्ड भी काफी खराब है। महाराष्ट्र के मनमाड में अपर जिलाधिकारी यशवंत सोनवाने की दिन-दहाड़े हत्या के बाद पेट्रोलियम मंत्रालय में मिलावट एक अहम मुद्दा बन गया है। पेट्रोलियम मंत्री जयपाल रेड्डी ने मंत्रालय के अधिकारियों को इससे संबंधित सभी आंकड़े एकत्र करने को कहा है। मंत्रालय के पास उपलब्ध अब तक की जानकारी के मुताबिक बीते साल सरकारी तेल कंपनियों के पेट्रोल पंपों से 85,660 नमूने मिलावट की जांच के लिए एकत्रित किए गए। इनमें से सिर्फ 69 मामलों (0.08 फीसदी) में ही मिलावट पाई गई। पेट्रोलियम मंत्रालय तेल कंपनियों के नमूने एकत्रित करने और मिलावट के दोषी पाए गए पेट्रोल पंपों के खिलाफ कार्रवाई के तरीके से बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं है। इन पेट्रोल पंपों से नमूना एकत्रित करने का काम अमूमन तब किया जाता है जब पेट्रोल-पंप के भंडार में पेट्रोल या डीजल भरा जा रहा होता है। इसलिए मिलावट के मामलों की सही संख्या सामने नहीं आ पाती। लिहाजा अब तेल कंपनियों से औचक निरीक्षण करके नमूने एकत्रित करने को कहा जा रहा है। नमूना जांच करने का ज्यादा आधुनिक तरीका भी कंपनियों से खोजने को कहा गया है। पेट्रोलियम मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि दोषी पाए जाने वाले पेट्रोल पंपों या डीलरों के खिलाफ तेल कंपनियों की कार्रवाई भी काफी सुस्त है। इसके लिए डीलर लाइसेंस रद करने के मौजूदा नियमों को ही एक बड़ी वजह माना जा रहा है। 2005-06 में डीलरों के लाइसेंस रद करने के प्रावधान काफी कठोर बना दिए गए हैं। उसके बाद से तेल कंपनियों के लिए डीलर लाइसेंस रद करना मुश्किल हो गया है। इन नियमों के मुताबिक तीन बार गड़बड़ी पाए जाने पर ही तेल कंपनियां लाइसेंस रद कर सकती हैं। हालांकि इस नियम का पालन भी कंपनियां विरले ही करती हैं। पूर्व पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवड़ा ने एक बार गड़बड़ी करने वाले डीलरों या पेट्रोल पंपों के लाइसेंस रद करने की नीति बनाने का निर्देश दिया था, लेकिन उसे अभी तक नहीं लागू किया जा सका है।


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