थ्रीजी स्पेक्ट्रम की नीलामी से अच्छी आय और उम्मीद से ज्यादा राजस्व वसूली के चलते केंद्र के राजकोषीय घाटे में जबर्दस्त कमी आई है। अप्रैल-नवंबर, 2010 में राजकोषीय घाटा 39.08 फीसदी घटकर 1.86 लाख करोड़ रुपये रह गया। पिछले साल की समान अवधि में यह 3.06 लाख करोड़ रुपये था। सरकारी खजाने में जिस तेजी से पूंजी आई, उतनी तेजी से खर्च नहीं की गई, इसलिए भी राजकोषीय घाटे में कमी आई। बैंकिंग प्रणाली में मौजूदा नकदी की कमी के कारणों में एक यह भी कारण शामिल है। समीक्षाधीन अवधि में केंद्र सरकार का परिव्यय 15 फीसदी बढ़कर 6.90 लाख करोड़ रुपये हो गया। एक साल पहले यह 6.21 लाख करोड़ रुपये था। वर्ष 2009-10 में सरकार का राजकोषीय घाटा सकल बजटीय अनुमान का 76.4 फीसदी रहा। महालेखा नियंत्रक के मुताबिक चालू वित्त वर्ष के लिए सकट बजटीय घाटा 3.81 लाख करोड़ रुपये अनुमानित था, जबकि अप्रैल-नवंबर, 2010 में यह 1.86 लाख करोड़ रुपये यानी 48.9 फीसदी ही रहा। सरकार ने इन आठ महीनों में करों के रूप में 2.96 लाख करोड़ रुपये जुटाए, जो पूरे वित्त वर्ष के बजटीय लक्ष्य का 55.5 फीसदी है। अप्रैल-नवंबर, 2010 में गैर कर राजस्व 18 लाख करोड़ रुपये रहा, जो वित्त वर्ष के लिए सकल बजटीय अनुमान से भी अधिक है। ऐसा मुख्यत: स्पेक्ट्रम नीलामी से अच्छी आय के कारण हुआ। सरकार को स्पेक्ट्रम नीलामी से लगभग 70 हजार करोड़ रुपये ज्यादा मिले। वर्ष 08 में शुरू हुए वैश्विक मंदी के बाद सरकार ने अर्थव्यवस्था के लिए कई राहत पैकेजों की घोषणा की थी, जिसका असर केंद्र सरकार के राजकोषीय घाटा लक्ष्यों और उपलब्धियों पर रहा।
No comments:
Post a Comment