Sunday, January 30, 2011

घरेलू मांग देख कर हो कपास निर्यात फैसला


कपास निर्यात की सीमा बढ़ाने पर अभी कृषि, वाणिज्य व कपड़ा मंत्रालय के बीच आम राय नहीं बन पाई है। कपड़ा मंत्रालय नहीं चाहता कि उत्पादन के मौजूदा स्तर और घरेलू मांग को देखते हुए कपास के निर्यात की मात्रा को बढ़ाया जाए। कपास के निर्यात को लेकर सचिव स्तर की समिति को अगले महीने समीक्षा करनी है। वाणिज्य मंत्रालय पहले ही संकेत दे चुका है कि उत्पादन बढ़ने पर कपास निर्यात की मात्रा में इजाफा किया जा सकता है। निर्यात बढ़ाने या उसे यथावत रखने पर सभी मंत्रालयों के अपने-अपने तर्क हैं। कपड़ा मंत्रालय चाहता है कि गैर कपास सीजन में उद्योग की जरूरतों को पूरा करने के लिए दो से ढाई महीने का कैरी फॉरवर्ड स्टॉक सुनिश्चित किया जाए। कपड़ा मंत्रालय की सचिव रीता मेनन ने शुक्रवार को कहा, हम कपास के दो से ढाई महीने का कैरी फॉरवर्ड स्टॉक चाह रहे हैं। यह 50 लाख गांठ के इर्द-गिर्द होगा। इस भंडार के सहारे गैर कपास सीजन में घरेलू कपास उद्योग की मांग को पूरा किया जा सकेगा। कपास के उत्पादन और सामान्य घरेलू मांग को देखने के बाद जो बचेगा, वह कैरी फॉरवर्ड स्टॉक होगा। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने चालू कपास सीजन (अक्टूबर, 2010 से सितंबर, 2011) में कपास के 170 किलो वजन की 55 लाख गांठों का निर्यात लक्ष्य निर्धारित किया है। गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान और पंजाब जैसे कपास उत्पादक राज्यों में बेमौसम बारिश और सर्दी बढ़ने की वजह से हाजिर बाजार में समय पर कपास की उपलब्धता सुनिश्चित नहीं हो पाई थी। इसका असर कपास निर्यात पर भी पड़ा। पहले दौर में 30 लाख गांठ का ही निर्यात हो पाया है। शेष 25 लाख गांठों का निर्यात करने के लिए सरकार ने 25 फरवरी अंतिम तिथि मुकर्रर की है। कपास के चालू सीजन में तकरीबन 320 लाख गांठ के उत्पादन होने की उम्मीद लगाई जा रही है। कपड़ा उद्योग में 275 लाख गांठों की खपत होती है। घरेलू उद्योग को हर महीने कपास की लगभग 25 लाख गांठों की जरूरत होती है।


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