महंगाई अब चिंता के अधिकतम स्तर को पार कर खतरनाक होती जा रही है। सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद खाद्य उत्पादों की कीमतें में वृद्धि नहीं रुक रही हैं। कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी का ही नतीजा है कि खाने-पीने की चीजों में महंगाई की दर पिछले दो वर्षो के उच्चतम स्तर के करीब पहुंच गई है। 25 दिसंबर, 2010 को समाप्त सप्ताह के दौरान थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित खाद्य उत्पादों की दर 18.32 फीसदी पर पहुंच गई है। इसकी वजह से इस महीने ब्याज दरों में एक और वृद्धि की संभावना भी बढ़ गई है। सरकार के लिए सबसे चिंता की बात यह है कि महंगाई उस समय खतरनाक रुख अपना रही है जब यह आम तौर पर संतुलित रहती है। शायद यही वजह है कि सरकार का एक वर्ग यह मान रहा है कि अब महंगाई रोकने के लिए सरकार के स्तर पर बहुत कुछ नहीं हो सकता है। बुधवार को गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने कुछ ऐसे ही बयान दिए थे। आज मुख्यआर्थिक सलाहकार कौशिक बसु ने कहा कि, कम से कम खाद्य उत्पादों में महंगाई की स्थिति के बारे में हम यह कह सकते हैं कि सरकार के हाथ में ज्यादा कुछ नहीं है। उन्होंने कहा कि, यह काफी बड़ा देश है और किसी को यह नहीं सोचना चाहिए कि सरकार अपनी मर्जी से खाद्य कीमतों पर नियंत्रण कर सकती है। जानकारों का कहना है कि इस वृद्धि के बाद अब ब्याज दरों में एक और वृद्धि की संभावना मजबूत हो गई है। रिजर्व बैंक इस महीने की 25 तारीख को वार्षिक मौद्रिक नीति की मध्य-तिमाही समीक्षा करने वाला है। नंवबर के महीने में महंगाई की स्थिति थोड़ी सुधरी थी। इसी वजह से दिसंबर, 2010 में समीक्षा के दौरान केंद्रीय बैंक ने ब्याज दरों को यथावत रखा था। केंद्रीय बैंक एक बार फिर अल्पकालिक ऋण दरों (रेपो रेट व रिवर्स रेपो रेट) में बढ़ोतरी कर सकता है। इससे पहले से ही महंगे हो रहे होम लोन व ऑटो लोन की दरों में और वृद्धि हो सकती है। महंगाई पर काबू पाने के ही उद्देश्य से साल 2010 में रिजर्व बैंक अपनी प्रमुख ब्याज दरों में छह बार बढ़ोतरी कर चुका है। केंद्र सरकार की तरफ से जारी थोक मूल्य सूचकांक आधारित आंकड़ों से पता चलता है कि 25 दिसंबर, 2010 को समाप्त सप्ताह में आलू को छोड़ कर अन्य किसी भी खाद्य उत्पाद की कीमतों में नरमी नहीं आई है। प्याज की कीमतें एक वर्ष के भीतर 82.47 फीसदी बढ़ चुकी हैं। मार्च, 2010 के बाद नौ महीनों के दौरान प्याज की थोक कीमतों में 198 फीसदी की वृद्धि हुई है। प्याज की कीमतों को लेकर आने वाले दिनों में भी ग्राहकों को राहत मिलने की संभावना नहीं है। अगर आलोच्य हफ्ते की बात करें तो इस दौरान प्याज की कीमतों में 23 फीसदी, दूध में 1.63 फीसदी, अंडे-मीट-मछली की कीमतों में 0.4 फीसदी, हरी सब्जियों में 16.22 फीसदी की वृद्धि हुई है।
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